Lal krishna advani biography

Lal krishna advani biography लाल कृष्ण आडवाणी: भारत रत्न, प्रोफ़ाइल, राजनीतिक करियर, और अधिक

Lal krishna advani biography परिचय

लाल कृष्ण आडवाणी, एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख नेता हैं। उन्हें उनके लंबे और समृद्ध राजनीतिक करियर के लिए जाना जाता है, जिनमें वे भारतीय राजनीति के विभिन्न पधारों पर अपनी महत्वपूर्ण योगदानों के लिए प्रसिद्ध हैं।

Lal krishna advani

जन्म:8 नवंबर 1927, कराची, पाकिस्तान
आयु:96 वर्ष
पूर्व कार्यालय:लोकसभा के विपक्ष के नेता (2004–2009)
पति:कमला आडवाणी (वि. 1965–2016)
पार्टी:भारतीय जनता पार्टी
संगठनों की स्थापना:भारतीय जनता पार्टी
माता-पिता:किशनचंद डी आडवाणी, ज्ञानी देवी
सहोदरी:शीला आडवाणी

Lal krishna advani biography | जीवन परिचय

Lal krishna advani biography लाल कृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची, ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई कराची में पूरी की और फिर भारत में राजकीय एवं सामाजिक क्षेत्र में अपनी करियर की शुरुआत की। उन्होंने अपनी वकालत की पढ़ाई के बाद राजनीति में प्रवेश किया और तेजी से अपना नाम बनाया।

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राजनीतिक करियर

लाल कृष्ण आडवाणी की राजनीतिक करियर बहुत उच्च मान्यता और सम्मान के साथ भरी हुई है। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपनी अहम भूमिका के लिए प्रशंसा प्राप्त की है और वे भाजपा के सहस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने राजनीति में लंबे समय तक सेवा की है और अपने दृढ़ नेतृत्व के लिए जाने जाते हैं।

उपलब्धियाँ

लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने जीवन के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। उनकी नेतृत्व में भाजपा ने भारतीय राजनीति में बड़ी उपलब्धियों को हासिल किया है और वे एक प्रमुख विचारक और नेता के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुके हैं।

पू्र्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 1986-1990, 1993-1998 व 2004-2005 के समय में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को संभाला।

आडवानी जी 1980 के बाद पार्टी के सबसे लंबे वक्त तक के अध्यक्ष रहे।

लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में देश के बड़े हिस्से पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई।  इसी का नतीजा था कि भाजपा की अगुवाई वाले NDA गुट 1998 में सत्ता पर काबिज हुआ।  1999 के आम चुनाव में एक बार फिर NDA गुट ने जीत हासिल की।

इस बार आडवाणी को गृह मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया।  अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वो 2002 से 2005 तक उप-प्रधानमंत्री भी रहें।  वो देश के इतिहास के 7वें उप-प्रधानमंत्री बने थे।

सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा

1990 में जब वीपी सिंह सरकार ने सरकारी संस्थानों और नौकरियों में पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के लिए मंडल कमिशन की रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा की, तब एक संगठन ने इसे हिंदू समाज में विभाजन का खतरा माना। इसी संगठन ने 26 अगस्त, 1990 को एक बैठक बुलाई। उस बैठक में अयोध्या आंदोलन को गति देने की रणनीति पर चर्चा हुई। इस संगठन का मत था कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के आंदोलन से हिंदू समाज एकता के सिरे से बंधा रहेगा और मंडल कमिशन की रिपोर्ट की घोषणा के साथ यह खतरा है कि यह समाज टूट जाए। उस समय, भाजपा भी हिंदू एकता के प्रयासों में अपना सहयोग देने के लिए उत्सुक थी। उन्होंने अयोध्या आंदोलन को समर्थन देने के लिए रथयात्रा का आयोजन किया।

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राम मंदिर से राम राज्य की कल्पना

6 अप्रैल, 2004 को आडवाणी भारत उदय यात्रा के दौरान अयोध्या में थे। उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन में शामिल होना धार्मिकता से प्रेरित नहीं था।

उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार के नकलीता और दोहरे मानकों से नाराजगी थी, और उन्होंने इस अवसर का उपयोग भारत में धर्मनिरपेक्षता पर चर्चा आरंभ करने के लिए किया। उन्हें लगता है कि हमें छिपी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़नी चाहिए।

इससे सभी धार्मिक समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान देने का मार्ग खुल गया। अयोध्या आंदोलन ने जाति के आधार पर हिंदू समाज को विभाजन करने की कोशिशों का खामियाजा दिया।

उनका मानना है कि 1989 और 1996 के बीच भाजपा के अद्वितीय विकास में राम जन्मभूमि आंदोलन का बड़ा योगदान रहा है। उनके लिए, अयोध्या हमेशा राष्ट्रीय जागरूकता का एक महत्त्वपूर्ण प्रतीक रहेगा। लाखों हिंदुओं की भावनाओं का अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर एक गरिमामय मंदिर निर्माण से जुड़ा है।

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समापन

लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता हैं, जिनका योगदान राष्ट्र के विकास और प्रगति में महत्वपूर्ण रहा है। उनकी विचारधारा, संघर्ष, और समर्पण ने उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में स्थायित्व और मान्यता प्रदान की है, जो भारतीय राजनीति के इतिहास में अद्वितीय स्थान रखते हैं।

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